चलता जा प्रगति पथ पर तू,
कंटक पथ के पुष्प बनेंगे।।
धूप जो तुझको चुभ रही है आज,
कल छाया स्वयं आकाश बनेगा।।
कंठ जो तेरा सूख रहा आज,
नदियाँ कल तू ले आएगा।।
उठ अब प्रण कर ले तू शपथ,
मार्ग न कोई अवरुद्ध कर पायेगा।।
देख !!
मनोबल न गिर पाए तेरा ,
तू स्वयं ही अपना संबल बनेगा ।।