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Sunday 28 April 2013

"प्रगतिपथ"


चलता जा प्रगति पथ पर तू,
कंटक पथ के पुष्प बनेंगे।।

धूप जो तुझको चुभ रही है आज,
कल छाया स्वयं आकाश बनेगा।।

कंठ जो तेरा सूख रहा आज,
नदियाँ कल तू ले आएगा।।

उठ अब प्रण कर ले तू शपथ,
मार्ग न कोई अवरुद्ध कर पायेगा।।

देख !!

मनोबल न गिर पाए तेरा ,
तू स्वयं ही अपना संबल बनेगा ।।


11 comments:

  1. मनोबल न गिर पाए तेरा ,
    तू स्वयं ही अपना संबल बनेगा ।। sahi hai himmat banaye rakhni chahiye....... nice post

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  2. simply superb.
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  3. बहुत सुंदर रचना!
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
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  4. bahut sundar rachna ..........manobal hamesha hame aage badhata hai

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  5. अत्यंत सुन्दर रचना |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
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  6. उत्साह का संचार करती रचना,बहुत बढियां |

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  7. वाह बहुत खूबसूरत भाव

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  8. मनोबल न गिर पाए तेरा ,
    तू स्वयं ही अपना संबल बनेगा ।।

    सुंदर सार्थक बात ....बढ़े चलो ....

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  9. Suresh RaiOctober 5, 2013 at 6:40 PM

    सुन्दर प्रस्तुति
    सुरेश राय
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