शाख से गिरा हुआ इक पत्ता।
इक टूटा हुआ तारा।
बहते हुए पानी पर बनी लहर।
आसमान से गिरती हुयी,पानी की इक बूँद।
आँख से टपका हुआ इक आंसू ,
जो शायद किसी के लिए मोती है,
किसी के लिए नमकीन पानी,
और किसी के लिए सिर्फ एक साइंटिफिक फार्मूला।
साफ़ दिल की मासूमियत,
जो कई बार तोड़ी-मरोड़ी गयी हो।
सबमें इक ख़ास बात है,
है न !!
आपकी लिखी रचना मुझे बहुत अच्छी लगी .........
ReplyDeleteशनिवार 19/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
में आपकी प्रतीक्षा करूँगी.... आइएगा न....
धन्यवाद!
सुन्दर अभिव्यक्ति |
ReplyDeletelatest post महिषासुर बध (भाग २ )
बहुत सुंदर प्रस्तुति है.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है एक बार ज़रूर पधारे.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
प्राकृति की तो हर अदा ही खास होती है .. देखने वाली नज़र चाहिए ...
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