चित्र गूगल से साभार !!
ओह !!
कल ख्वाब में तुम ही तो थे ,साथ मेरे !!
बहते पानी पर बने,
सुन्दर से पुल पर,
मैं थी तुम्हारे सामने ,
घेरदार,घुमावदार,ज़मीन को छूता हुआ,
लाल,बेहद आकर्षक सा विलायती गाउन पहने हुए,
और तुम भी तो जँच रहे थे,
काले रंग के विलायती कोट-पेंट में ......लग रही थी बिलकुल शाही जोड़ी,
है ना !!
अचानक आँखों के आगे,
एक तस्वीर उभर आई हो जैसे,
हम कर रहे थे सालसा,
और बहती हवा के झोंके,
छूकर जा रहे थे हमें !!
सुनो ज़रा !!
उस मुलाक़ात की हार्ट-बीट ......
बस गयी है दिल में मेरे .......
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
ReplyDeleteशुक्रिया प्रतिभा जी
Deletefrom the title of this poem to last word....just awesome mam...
Deletefrom the tile to last word.....awesome mam..
Deleteआहा !!!! चलो थोडा रूमानी हो जाएँ.................
ReplyDelete:-)
अनु
हांजी :)
Deleteबिलकुल
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआप की इस खूबसूरत रचना के लिये ब्लौग प्रसारण की ओर से शुभकामनाएं...
ReplyDeleteआप की ये सुंदर रचना आने वाले शनीवार यानी 26/10/2013 को कुछ पंखतियों के साथ ब्लौग प्रसारण पर भी लिंक गयी है... आप का भी इस प्रसारण में स्वागत है...आना मत भूलना...
सूचनार्थ।
अहा !
ReplyDeleteसच में स्वप्न में भी हार्ट-बीट होता है ..उम्दा पोस्ट दीपावली की सुभकामनाएँ ...मेरे भी ब्लॉग पर आये
ReplyDeleteउस मुलाकात ही हार्ट बिट बस गयी मेरे दिल में .....बहुत खूब.. सप्न्ने भी असर छोड़ते है
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteप्रेम - क्या क्या नहीं दे जाता
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