यादों के उस मंज़र से मैंने, वो इक दिन दिल में संजो लिया है,
जिस दिन मुझे मिला था कारण ,जीवन अपना जीने का.......
तुमने ही अहसास कराया ,मेरा भी अस्तित्व है,
भूल गयी थी वरना मैं तो ,अहसास ही मेरे होने का.....
उन चंद लम्हों में जैसे, जी ली मैंने कई खुशियाँ हैं,
डर नहीं रहा मुझको जैसे,कुछ भी अब तो खोने का.....
रहती हैं वो यादें जहाँ ,मन का वो इक कोना है,
करती रहती हूँ जतन अब हरदम , उस कोने को सजाने का......
जानती हूँ तुम्हारे लिए ये,एक अजनबी सी पाती है,
है बहाना मेरे लिए ये, अकेले बैठकर मुस्कुराने का......
यादों के उस मंज़र से मैंने, वो इक दिन दिल में संजो लिया है,
जिस दिन मुझे मिला था कारण,जीवन अपना जीने का.......