एक किताब को अपने साथ पाया है,
जो मुझसे बातें करती है,
जो मेरे साथ ही रहती है,
कुछ पन्ने उसके पहले से लिखे हैं,
और कुछ पन्नो को मैंने लिखा है,
न जाने कितने ख्वाब संजोये हैं,
न जाने कितने आंसू रोये हैं,
हर ख़ुशी पे उसको सराहा है,
हर दुःख में साथ उसे ही पाया है,
उस किताब के कुछ पन्ने हैं,
जिनको समेतटी मैं रहती हूँ,
बिखर न जाएँ पन्ने वो,
इस बात से मैं डरती हूँ,
उस किताब का नाम है "जिंदगी" .......
उन् पन्नों का नाम है "रिश्ते" ........
जिन्हें समेटना मेरी आदत बन गयी है,
और इनके बिन न रहना मेरी फितरत बन गयी है....................................
kitab achchhi lagi, hamne bhi koshish ki panne palatne ki..:)
ReplyDeletebahut behtareen rachna...:)
thanks... :)))
Deletekitab ki rachayita badhai ki patra hain !!
ReplyDeletegood one meenakshi...
ReplyDeletegod bless u.
very nicely done poetry ...
ReplyDeleteकिताब पर प्यार और विश्वास की मोती जिल्द चढवा लो....कभी नहीं बिखरेंगे पन्ने...
nice thought.... :))))
ReplyDeletethanks for your love and support....
उस किताब का नाम है "जिंदगी" .......
ReplyDeleteउन् पन्नों का नाम है "रिश्ते" ......
बहुत सुंदर इस उत्कृष्ट रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें.