- चित्र गूगल से साभार
जानता था !!
वो जीती है ख़्वाबों में,
उंघती हुयी अधनींदी सी ...
ख्यालों में बनाती है,
ख्यालों में बनाती है,
बादलों के महल ....
प्यार की मखमल के,
होते हैं परदे उस महल के .....
मुरझाने वाले असली फूलों को,
जिंदगी समझती है वो ....
एक दिया जलता रहता है,
राह तकता हुआ सा हमेशा ......
राह तकता हुआ सा हमेशा ......
और दरवाज़े खुले होते हैं हमेशा,
उसके इंतज़ार में .......
चाँद उसे दीवाना लगता है ,
और तारों को वो गिनती रहती है ......
झल्ली है वो ..... !!
जो ये भी नहीं जानती .... ये दुनिया उसकी अपनी सजाई हुयी है ..... !!
मैं उस दुनिया का हूँ ही नहीं ..... !!
बहुत खूब !! :)
ReplyDeleteकभी कभी अपनी बनायी दुनिया ही अच्छी लगती है इस बेरुखी दुनिया से
ReplyDeleteबहुत खूब !!
superb
ReplyDeleteशब्दों को नयी पहचान देना आपकी कलम की विशेषता है
ReplyDeleteमिसी मासूम दिल की भावनाओं को शब्द दिए हैं ... बहुत लाजवाब ...
ReplyDeleteकोमल एहसास से भरी कविताएँ..अच्छी लगीं।
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