आज शाम बैठे हुए अकेले मैं अपना मन टटोल रही हूँ....
कुछ खट्टे कुछ मीठे अहसासों को मैं ढूंढ रही हूँ,
मन में छुपे कुछ अनछुए पहलुओं को मैं खोज रही हूँ,
खामोशी के पीछे छुपी हुयी कुछ आहटो को सुन रही हूँ...........
इस खोज में कुछ ढूँढा है मैंने आज,
देखकर उसको मैं अचंभित सी रह गयी...........
थे वो कुछ अधूरे सपने,
जैसे कच्चे घड़े हो मिट्टी के,
आकार तो उनका दिख रहा था,
पर छूने की हिम्मत नहीं कर पायी,
डर लगता है कहीं टूट न जाएँ.........
फिर मिली मैं कुछ नहीं की हुयी खूबसूरत गलतियों से,
इतनी खूबसूरत थी वो कि उनको करने को मन करता है,
सोचती हूँ लेकिन कि वो अधूरी ही अच्छी हैं मेरी यादों में,
क्या पता करने के बाद खूबसूरत न रहें...........
और गहराई में जब पहुंची मन के,
व्यथा का एक सागर था,
जिसका कोई न किनारा था,
सोचा पार कर जाऊं इसे चुपचाप,
पर निकल ही आये आंसू आज,
रोक न सकी मैं वो सैलाब.........
सोचते सोचते रात हो चली,
पर था न कोई मन का पार......
It was very interesting for me to read that blog. Thanks the author for it. I like such topics and everything that is connected to them. I would like to read more soon.
ReplyDelete2002 Pontiac Grand AM AC Compressor
thanks sheena... :)
Deletebahut sundar bhavon ko abhivyakt kiya hai aapne .badhai
ReplyDeletedhanyavaad shikha ji.... :)
Deleteraat gayee baat gayee...:)
ReplyDeleteman me kitni baaten chalti rahti hai... par ye bhi khushi deta hai.!!
bahut pyari si rachna..!
thank you Mukeshji... :)
Deleteअरे ये कविता हमसे कैसे छूट गयी??????????????
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर मिनाक्षी....
good going!!!!
bless u dear
thankyou very much....
Delete:)
happy to se your loving comments.... <3
awwwwww...........
ReplyDeletebohot hi pyaari aur touching rachna hai...tooooo sweet,aur bohot karun bhi hai
beautiful
thankyou very much.... :)
ReplyDeletenice one thanks close to heart
ReplyDeletevery nice close to heart
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