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Friday 24 February 2012

"उल्फत"

तेरी उल्फत याद करके दिल ये मेरा रो दिया ,
कह पड़े ये लब सहमके तुमने मुझको खो दिया ,
मुद्दतों से हमने जिस रिश्ते को अपना था कहा,
दो-चार लफ्ज़ बोलके तुमने उसे झुठला दिया,
 अरसों  से तुम्हारी खुशियों पे होते रहे हम फंना,
मिन्नतों को हमारी तुमने ही  कर दिया अनसुना,
मन्नतों का तुम्हारे लिए किया था महल खड़ा,
आज उस महल में खुद को ही पाया हे तनहा,
लबों पे हमारे आज भी तेरे लिए बस हे दुआ,
रब की मर्जी ही सही जो कर दिया हमको जुदा,
तेरी उल्फत याद करके दिल ये मेरा रो दिया ,
कह पड़े ये लब सहमके तुमने मुझको खो दिया....................

Thursday 23 February 2012

"उलझन"

 दिल की हर उलझन का हमने क़त्ल-ऐ-आम कर दिया,
तेरी हर इक बेरुखी को दरकिनार कर दिया ,
जाने हम क्यूँ तुझको अपना मान बैठे थे खुदा ,
हर ग़लतफ़हमी को हमने बेनकाब कर दिया ... 

 दिल की हर उलझन का हमने क़त्ल-ऐ-आम कर दिया,

"स्वप्न"

my first post on my blog.....
स्वप्न सुन्दर सुरमई नैनो में आकर बस गए,
चंचल चपल ये नैन किस बात पे अब रूस गए......
प्रेम-प्रीत-प्रमोद की ऋतू में ये ऐसे रम गए ,
मन मीत  मोह प्रलाप करने  में व्यस्त हो गए.......
अंतःकरण-अंकुर प्रेम का सीचने में लग गए,
समय समान बलवान नहीं कुछ  लोग ऐसा कह गए.......
वट-वृक्ष सा वो प्रेम अंकुर निहारने अब लग गए,
नैन निंद्रा टूटने पे व्याकुल अश्रुओं से भर गए ...........
भोर भई जब सोचकर ये खुद  पे हंसने  लग गए,
स्वप्न सुन्दर सुरमई नैनो में आकर बस गए..........