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Thursday, 23 February 2012

"स्वप्न"

my first post on my blog.....
स्वप्न सुन्दर सुरमई नैनो में आकर बस गए,
चंचल चपल ये नैन किस बात पे अब रूस गए......
प्रेम-प्रीत-प्रमोद की ऋतू में ये ऐसे रम गए ,
मन मीत  मोह प्रलाप करने  में व्यस्त हो गए.......
अंतःकरण-अंकुर प्रेम का सीचने में लग गए,
समय समान बलवान नहीं कुछ  लोग ऐसा कह गए.......
वट-वृक्ष सा वो प्रेम अंकुर निहारने अब लग गए,
नैन निंद्रा टूटने पे व्याकुल अश्रुओं से भर गए ...........
भोर भई जब सोचकर ये खुद  पे हंसने  लग गए,
स्वप्न सुन्दर सुरमई नैनो में आकर बस गए..........

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर...
    पहली पोस्ट ही लाजवाब...
    मेरी शुभकामनाएँ आपको और आपकी लेखनी को...
    सस्नेह.

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  2. remove word verification...and add comment moderation...

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  3. will try to do.... if couldnt, will ask for your help....

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