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Sunday 15 April 2012

"विरह"

स्मृति सुन्दर सुरमई,भरे नित उर में आनंद.....
 कोमल कोपल कुसुम के,दे जैसे नित गंध.....
 
चंचल चक्षु चपल हैं,प्रणय-प्रेम में अंध.....
 पुलकित पल्लव पुहुप के,ह्रदय करे है मग्न.....
 
प्रेम-प्रहार  प्रफुल्लित करे,कर दे स्वप्न को कुंद..... 
स्वप्न सलोने सुन्दर हैं,जैसे वसुंधरा में कंद......
 
पीर पानी सी बह रही,कंठ गया है रुंध.....
 अँखियाँ अंसुअन भर गयीं,स्पंद हो गया मंद.....
 
विरह-व्यथा  बह निकली,भीग गया मन अंग.......
 निर्मल नीर नयन का,जैसे महा समुंद.....
 
मेघ मन पर छाये हैं,छा गया है धुंध.......
 बरखा बहार बसंत संग,फिर भी मन रहे भंग,
 
तन-ताप तपने लगे,सुनकर कोई प्रसंग.......
भोर भये भंवरे हँसे,करने लगे मुझे तंग......
 
पंछी पूछें प्रश्न नए,
कहें ये तेरा कौन सा रंग???????

27 comments:

  1. प्रेम रंग में रगने के बाद की स्थितियों का सजीव चित्रण.

    सुंदर.

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    1. rachna ji ...!!

      i am not able to post comments on your blog "rachna ravindra"

      please help me out

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  2. very nice meenakshi..............
    quite a poetic approach!!!!!

    keep it up dear.

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  3. गज़ब की अभिव्यक्ति ....
    बधाई आपको !

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  4. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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  5. मीनाक्षी जी,
    नमस्कार
    विरह भाव को अति सुंदर शब्दों से सुसज्जित किया है ...
    आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा ....
    इस सुंदर रचना के लिए बधाई !!

    ReplyDelete
  6. मीनाक्षी जी,
    नमस्कार
    विरह भाव को अति सुंदर शब्दों से सुसज्जित किया है ...
    आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा ....
    इस सुंदर रचना के लिए बधाई !!

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  7. sundar bhavnatamak rachna badhai

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  8. पीर पानी सी बह रही,कंठ गया है रुंध.....
    अँखियाँ अंसुअन भर गयीं,स्पंद हो गया मंद.....

    हर एक शब्द विरह से भीगा हुआ

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  9. अरे वह ये तो बेजोड़ हो गया . विरह व्यथा तो सशरीर उपस्थित है कविता में .

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  10. पंछी पूछें प्रश्न नए,
    कहें ये तेरा कौन सा रंग???????

    bahut sundar abhivyakti ...!!
    shubhkamnayen ...!!

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  11. धन्यवाद अनुपमा जी

    सादर

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