Followers

Thursday 17 October 2013

है न !!






शाख से गिरा हुआ इक पत्ता।

इक टूटा हुआ तारा।

बहते हुए पानी पर बनी लहर।

आसमान से गिरती हुयी,पानी की इक बूँद।




आँख से टपका हुआ इक आंसू ,


जो शायद किसी के लिए मोती है,

किसी के लिए नमकीन पानी,

और किसी के लिए सिर्फ एक साइंटिफिक फार्मूला।
   



साफ़ दिल की मासूमियत,


जो कई बार तोड़ी-मरोड़ी गयी हो।


सबमें इक ख़ास बात है,


है न !!

4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना मुझे बहुत अच्छी लगी .........
    शनिवार 19/10/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    में आपकी प्रतीक्षा करूँगी.... आइएगा न....
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति है.
    मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है एक बार ज़रूर पधारे.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

    ReplyDelete
  3. प्राकृति की तो हर अदा ही खास होती है .. देखने वाली नज़र चाहिए ...

    ReplyDelete