Followers

Saturday 3 March 2012

"तस्वीर"



चाँद भी लो छुप गया अब रात तनहा हो चली,
तारों की डोली भी अलविदा कहने को आतुर हो गयी.......
मैं टकटकी लगाये हुए तस्वीर कोई बनाती  रही,
दिल के पन्नो पे नाम कोई लिखती  रही मिटाती  रही.........
वह कल्पना ही तो थी मेरी जिसका  रूप मैं रचती रही,
आज तक तो बस यूँही दिल की ही मैं सुनती रही..........
अधरों ने मेरे भी नहीं चुप्पी कोई तोड़ी कभी,
हर शाम अपनी आँखों में सपना कोई बुनती रही...........
अनजान से उस शख्स के चेहरे को मैं उकेरती रही,
एक अरसा गुज़र गया उस सख्स तक न पहुँच सकी..........
वह तस्वीर मेरी कल्पना बनकर ही देखो रह गयी,
दिल में रात-दिन कोई टीस सी उठती रही.......
किताबों में रखे गुलाबों को पलट पलट कर देखती रही,
उनकी खुशबू ही जुदा उनसे अब थी हो चली.....
इक आस फिर भी है  अभी उस कल्पना तक पहुचुंगी कभी,
कभी तो उभरेगी तस्वीर कोई जो अब तलक रही मुझसे छुपी.......
दायरे असीमित हैं कल्पनाओ के सभी हंसके मैं ये कह पड़ी,
फिर भी उस भोर की ही चाह में मैं रात भर जगती रही.......
चाँद भी लो छुप गया अब रात तनहा हो चली,
तारों की डोली भी अलविदा कहने को आतुर हो गयी.......

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर मिनाक्षी...
    अधरों ने मेरे भी नहीं चुप्पी कोई तोड़ी कभी,
    हर शाम अपनी आँखों में सपना कोई बुनती रही...........

    बहुत अच्छे ख़याल....

    ढेर सा स्नेह.

    ReplyDelete
  2. तहे दिल से शुक्रिया..... :)

    ReplyDelete
  3. bahut khoob !!

    Irshaad.

    ReplyDelete
  4. पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

    ....... रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
    ब्लॉग ज्वाइन कर लिया है. शुभकामनायें.

    ReplyDelete