न जाने कितने शब्द नृत्य करने लगते हैं मष्तिष्क में ,
जब देखती हूँ घने कोहरे के बाद फैली धूप चारों ओर।
आँगन में छिटकी ये धूप ,अनुभूति कराती है मुझे .....
तुम्हारे पास होने का ....
जब मैं उन्मुक्त पंछी सी,
तुम्हारे खुले और स्वच्छ आकाश की तरह,
फैले बाजुओं में आ छिप जाती थी ,
सुरक्षित महसूस करती थी अपने आप को वहां।
तुम्हारे उस निर्मल आकाश में फैली धूप के उजियार से,
चमक उठता था कण-कण मेरा,
विचार शून्य हो जाता था मस्तिष्क,
मानो सारी चिंताओं से मुक्त हूँ।
बस आज उस गुनगुनी धूप ने बरसों बाद,
मेरे स्मृति पटल पर अंकित,
जीवंत कर दिए वो प्रकाशमय क्षण,
जो बहते हैं प्रकाशवान एक नदी की तरह सदा ही मुझमे .....
जब देखती हूँ घने कोहरे के बाद फैली धूप चारों ओर।
आँगन में छिटकी ये धूप ,अनुभूति कराती है मुझे .....
तुम्हारे पास होने का ....
जब मैं उन्मुक्त पंछी सी,
तुम्हारे खुले और स्वच्छ आकाश की तरह,
फैले बाजुओं में आ छिप जाती थी ,
सुरक्षित महसूस करती थी अपने आप को वहां।
तुम्हारे उस निर्मल आकाश में फैली धूप के उजियार से,
चमक उठता था कण-कण मेरा,
विचार शून्य हो जाता था मस्तिष्क,
मानो सारी चिंताओं से मुक्त हूँ।
बस आज उस गुनगुनी धूप ने बरसों बाद,
मेरे स्मृति पटल पर अंकित,
जीवंत कर दिए वो प्रकाशमय क्षण,
जो बहते हैं प्रकाशवान एक नदी की तरह सदा ही मुझमे .....
बहुत सुंदर कविता..प्रेम सदिच्छा और हौसले से भरी कविता...
ReplyDeleteBohat achhi kavita likhi hai Meenakshi ji ...
ReplyDelete"uska" saath.. hota hi hai aisa :)
ReplyDeletebahut khub... behtareeen..
ये उजास बनी रहे , धुप यूँ खिली रहे , आसमान तो है सदा के लिए. बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteबहुत खूब ....
ReplyDeletebahut sundar poem likhi hai aapne
ReplyDeletebahut sundar kavita
ReplyDeletekya baat hai....very nice
ReplyDeleteवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहि
ReplyDeleteपिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
ReplyDeleteकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (5) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !