आज आंसू निकल आये उस लड़की की स्थिति सुनकर,बहुत हिम्मत जुटाकर कुछ शब्द जोड़े हैं .... भरे गले से निकली आवाज़ ..... एक पुकार .....
सोचती हूँ .. आप सब समझेंगे ......
नहीं चाहती!!
मैं नहीं चाहती अब ये,
कि ये घाव भरे कभी।।
इस पर नमक छिड़कते रहना ज़रूरी है,
याद दिलाने के लिए तुम्हे,
कि मानवता को रोंदा है आज तुमने,
अपने पैरों तले, ऐ पुरुष!!
राक्षसों को मात दी है,
सारी सीमाएं लांघ दी हैं,
ये कैसा पुरुषत्व है तुम्हारा????
ये कैसा अहम् है तुम्हारा??????
जिसने तुमको जन्म दिया है,
उस नारी-जाति की आत्मा को चीर डाला??????
क्यूँ !!
अगर गुड़ियों के साथ खेली है वो,
तो इसका मतलब ये तो नहीं ,
कि वो भी एक गुडिया है …. !!
मौन,
बेजान !!
अरे!!
ऐसा कैसे समझ लिया तुमने ?????
वो तो शक्ति है,
सहनशीलता की मूर्ति है,
सृष्टि की ऐसी कल्पना है,
जिसके बिना तुम्हारा अस्तित्व शून्य है !!
पूजी जाती है "कामाख्या"* ……
उसके एक रूप को,
जिस क्रूरता से है रोंदा गया,
कुछ तो वेदना हुयी होगी उसे भी!!!!!
कामना है आज मेरी ....
जागृत हो जाए उसी शक्तिपीठ से आज,
बन के चंडी कर दे पापियों का संहार .....!!
बन के चंडी कर दे पापियों का संहार .....!!
कोई और "दामिनी" न जन्म ले अब,
कोई साँसें अब यूँ न बिखरें ,
कोई और नारीत्व न कुचला जाए ,
कोई अबला अब न सिसके !!
*(51 अंगों में से एक अंग सती का ......-योनि)
ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे !!
ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे !!
बेहद सार्थक सोच और सशक्त पंक्तियाँ मिनाक्षी....
ReplyDeleteजागृत हो समाज...चंडी करे नाश पापियों का...
सस्नेह
अनु
जागृत हो जाए उसी शक्तिपीठ से आज,
ReplyDeleteबन के चंडी कर दे पापियों का संहार |
बहुत बढियां |
कामना है आज मेरी ....
ReplyDeleteजागृत हो जाए उसी शक्तिपीठ से आज,
बन के चंडी कर दे पापियों का संहार .....!!अमीन !!सही शब्द दिए हैं हैं आपने इस हादसे को ...यही होना चाहिए ..बेहतरीन अभिव्यक्ति
कामना है आज मेरी ....
ReplyDeleteजागृत हो जाए उसी शक्तिपीठ से आज,
बन के चंडी कर दे पापियों का संहार .....!!
kash...
wo jagrit devi maa ke mandir se wo khud nikal kar aati aur sanhaaaar kar pati...
par sab kaaaaaaaash...
dardnaak abhivyakti aur saarthak
हर स्त्री में चंडी तत्व है उसे ही जगाने की जरूरत है , सार्थक आह्वान करती कविता !
ReplyDeleteसशक्त अभिव्यक्ति .... संहार होना ही चाहिए ।
ReplyDeleteअब इस गन्दी मानसिकता से छुटकारा पाने का समय आ गया है. सभी को इस अभियान में अपना योगदान करने की शपथ लेनी होगी और आज ही इस मुहिम में शामिल होना चाहिये.
ReplyDeleteye samaz ka bahut hi ghinanuna roopa hai.....
ReplyDeleteबन के चंडी कर दे पापियों का संहार .....!
ReplyDelete..यही कामना हमारी है ...
कामना है आज मेरी ....
ReplyDeleteजागृत हो जाए उसी शक्तिपीठ से आज,
बन के चंडी कर दे पापियों का संहार ..
bahut hi rabhavshali rachana ...badhai
नव वर्ष की असीम शुभकामनायें.
ReplyDeleteआपको भी रचना ,जी नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteआपका आवाहन सफल रहे
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
बहुत ही सुन्दर एवं मार्मिक और सोचने पर मजबूर कर देने वाली कविता | सदर आभार |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
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