चलता जा प्रगति पथ पर तू,
कंटक पथ के पुष्प बनेंगे।।
धूप जो तुझको चुभ रही है आज,
कल छाया स्वयं आकाश बनेगा।।
कंठ जो तेरा सूख रहा आज,
नदियाँ कल तू ले आएगा।।
उठ अब प्रण कर ले तू शपथ,
मार्ग न कोई अवरुद्ध कर पायेगा।।
देख !!
मनोबल न गिर पाए तेरा ,
तू स्वयं ही अपना संबल बनेगा ।।
मनोबल न गिर पाए तेरा ,
ReplyDeleteतू स्वयं ही अपना संबल बनेगा ।। sahi hai himmat banaye rakhni chahiye....... nice post
simply superb.
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बहुत सुंदर रचना!
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest postजीवन संध्या
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bahut sundar rachna ..........manobal hamesha hame aage badhata hai
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर रचना |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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उत्साह का संचार करती रचना,बहुत बढियां |
ReplyDeleteबहुत खूब..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआज की चर्चा : ज़िन्दगी एक संघर्ष -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-005
हिंदी दुनिया -- शुभारंभ
वाह बहुत खूबसूरत भाव
ReplyDeleteमनोबल न गिर पाए तेरा ,
ReplyDeleteतू स्वयं ही अपना संबल बनेगा ।।
सुंदर सार्थक बात ....बढ़े चलो ....
ReplyDeleteSuresh RaiOctober 5, 2013 at 6:40 PM
सुन्दर प्रस्तुति
सुरेश राय
कभी यहाँ भी पधारें और टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें
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