कल बनाते वक़्त "गोभी के परांठे" ..............
पता था मुझे .... हमेशा की तरह तुम कहोगे आज भी ...!!
कि उन परांठों का स्वाद भुलाये नहीं भूलता,
तुमसे नहीं बनते वैसे परांठे।
अचानक मन चला गया फिर से अतीत में,
जब एक लॉन्ग राइड के बाद ....
कुछ पल साथ बिताने को,
एक गोभी का परांठा ...
ढाबे की अनहाइजिनिक सी टेबल पर,
लोकल टाइप के सॉस से ....
शेयर करके आधा-आधा खाते थे,
नहीं सोचते थे कुछ भी,
कुछ और समय साथ रहने को दूसरा परांठा आर्डर कर देते थे ...
उस बीच तेरी आँखों का मुझसे कुछ कह जाना,
और मेरे चेहरे पर छा जाना गज़ब सा उजास।
दिन ख़त्म हो जाता था साथ-साथ,
पर बातें थी कि ख़त्म नहीं होती थी।
फुर्सत के उन पलों में जिए जो दिन हमने साथ,
हाँ वो स्वाद उन दिनों का .......
उन "गोभी के परांठों" की तरह .....
आज भी भुलाए नहीं भूलता मुझे ...
:-)
ReplyDeleteजाने कहाँ गए वो दिन......
अनु
पराठे तो वही होगे बस नजरो का फेर है , जीवन के धूसर रंग को बहुत सुन्दर ढंग से उकेरा है मिनाक्षी .
ReplyDeleteek aur parantha lana.......:)
ReplyDeletegobhi wale hi la rahe ho na :D
गोभी के परांठों" की तरह .....
ReplyDeleteआज भी भुलाए नहीं भूलता मुझे ......वाह बहुत बढ़िया ........
wahh kya kub bayn kiya hai aapne....
ReplyDeleteरोमांटि बहुत ही रोमांटिक | धीमी धीमी प्यार की खुशबू फैला रहा है आपका गोभी का परांठा | अत्यंत स्वादिष्ट |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
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