कृष्ण , कन्हैय्या ,गोपाल ,गोविन्द ,मुरलीमनोहर ,मनमोहन ............
कितने सारे नाम तुम्हारे.....
किस नाम से पुकारूँ हे कान्हा तुम्हे मैं,
हर रूप में तुम हो मुझको प्यारे........
रूप मनोहर काया सांवरी,
हर लेती मन के संत्रास सारे ......
वृन्दावन की गलियों से अब तो,
हो चला मुझको अतीव प्रेम है....
जी करता रह जाऊं वहीं मैं,
तेरी छाया फैली जहाँ चहुँ ओर है.....
कितना सरल सुन्दर जीवन है,
शांति वहां अपार है.....
आया दिन कृष्ण-जन्माष्टमी का....
लाया कई स्मृतियाँ भी साथ......
माँ के हाथ के बने वो लड्डू,
और वो पंच मेवे का प्रसाद......
गली-नुक्कड़ की वो मटकियाँ,
और वो पंचामृत का सैलाब....
याद है मुझको कान्हा अब भी,
तुम्हारे जन्मोत्सव का वो उत्साह.....
कमलनयन!! हे मीरा के गिरिधर,
आकर्षण तुम्हारी मंत्रमुग्ध मुस्कान है ....
पद्मनाभ!! हे पुरुषोत्तम तुम,
जग के तारणहार हो .......
कमलनयन!! हे माधव सुन लो,
तुम बिन ना उद्धार है ....
लक्ष्मीकान्तं !! हे सुरेशं तुमको,
मेरा शत-शत प्रणाम है .....
"जय श्री कृष्ण"
:)) he makhanchor... mera bhi pranam sweekaro
ReplyDeletebilkul sweekarenge mukesh ji :)
Deleteभक्तिमयी सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteजन्माष्टमी की शुभकामनाएँ !
aapko bhi.. dhanyavaad :)
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