कुछ पंक्तियाँ लिख रही हूँ ..... उत्साह ,वीर और रौद्र रस से भरी हुयी ....
थोड़ी ज्वाला प्रज्वलित करने की कोशिश कर रही हूँ।
आशा करती हूँ ,आपको पसंद आएगी .....
संकटों की है घड़ी,अग्नि का संचार हो...
धरा पुकार कर रही,संघर्ष का प्रसार हो....
सुशुप्त क्यूँ है हो चली,रग-रग में आज ज्वाल हो...
है भारती पुकारती,समर का शंखनाद हो....
क्यूँ दहाड़ मंद हो गयी,सिंह गर्जना करो....
क्यूँ श्वास क्षीण हो रही,शक्ति का प्रवाह हो.....
क्यूँ एकता बिलख रही,मैत्री अब प्रगाढ़ हो.....
है भारती पुकारती,समर का शंखनाद हो....
क्यूँ स्पंद मंद हो रही,साहस अब अपार हो..
क्यूँ चाल है भटक रही,प्रखर दिशा प्रकाश हो.....
क्यूँ माला है बिखर रही, सेना अति विशाल हो.....
है भारती पुकारती,समर का शंखनाद हो....
हिमालय पे आंच आ रही,अब रक्त में उबाल हो....
मानवता बाट जोह रही,अडिग तेरा प्रयास हो...
उत्साह में ना हो कमी,सफलताओं का अब त्यौहार हो....
है भारती पुकारती,समर का शंखनाद हो....
प्रखर प्रचंड सूर्य की,पहली वो किरण बनो...
माता प्रताप दे रही,भुजाओं में बल अपार हो...
शक्ति प्रदान कर रही,मन में अब विश्वास हो....
है भारती पुकारती,समर का शंखनाद हो....
" भारत माता की जय - जय हिंद "
" भारत माता की जय - जय हिंद "
samne pahar ho, singh ki dahar ho...
ReplyDeletetype...:)
क्यूँ स्पंद मंद हो रही,साहस अब अपार हो..
क्यूँ चाल है भटक रही,प्रखर दिशा प्रकाश हो.....
क्यूँ माला है बिखर रही, सेना अति विशाल हो.....
है भारती पुकारती,समर का शंखनाद हो....
bahut behtareen...
thank you so much mukeshji... :)
Deleteactually wrote this poem for competion held at my husbands office on independence day...
बहुत सुन्दर मिनाक्षी....
ReplyDeleteसुन्दर दहकती हुई रचना के लिए बधाई ...
thanks a lot <3
Deleteउत्साह से लबरेज आपकी कविता का शिल्प प्रभावशाली है और भाव शिराओ में रक्त संचार को बढ़ाने को पर्याप्त . जाने क्यू मुझे दिनकर की पंक्तियाँ याद आई "दाता पुकार मेरी संदीप्ति को जीला दे , बुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला दे
ReplyDeletethanks a lot ashish ji... :)
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हिमालय पे आंच आ रही,अब रक्त में उबाल हो....
ReplyDeleteमानवता बाट जोह रही,अडिग तेरा प्रयास हो...
उत्साह में ना हो कमी,सफलताओं का अब त्यौहार हो....
है भारती पुकारती,समर का शंखनाद हो....
ओज पूर्ण कविता ...
धमनियों में रक्त प्रवाह बढाने वाली !
thankyou so much shivnath ji
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सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeletedhanyavaad prasannji...
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बहुत उम्दा , वीर और रौद्र रस अब लोग कम रचना लिखते है ।अधिकतर लोग श्रृंगार, भाव और छाया के रंग में रंगे है ।एक बार पुनः आपको बधाई ।
ReplyDeletethank you so much anand ji for the compliments...
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