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Monday, 20 August 2012

"पलाश"

भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है।मैंने इंजीनियरिंग भोपाल से ही की,वहां 4 वर्ष रही। वहां की प्राकृतिक सौन्दर्यता भुलाए नहीं भूलती।वैसे तो फाल्गुन मास  में झीलों के शहर भोपाल में जहाँ-तंहा पलाश की बहार देखने को मिलती है। कॉलेज के दिनों में मेरे कमरे के बाहर एक पलाश का वृक्ष हुआ करता था ..... मुझे उसके फूल अपनी किताबों में सहेजना बहुत अच्छा लगता था। एक बार होली पर मैं अकेली अपने कमरे की खिड़की पे बैठे किताबों के पन्ने पलट रही थी, कि अचानक एक शुष्क पलाश का फूल मुझे मिल गया। न जाने कब से सहेजा था। बस अपनी कलम से मन की बातें पन्नों पे उतर दी, और बन गयी "पलाश"........





फागुन आया है,होली लाया है,
वृक्षों पर सुन्दर पलाश मुस्काया है,
ये पलाश सुमधुर सी स्मृति लाया है,
क्यूंकि आज एक शुष्क
पलाश मैंने अपनी किताब में पाया है.......

ये पलाश मुझसे बार-बार प्रश्न कर रहा है,
रंग मेरे केसरी भरने क्यूँ न कोई आया है,
क्यूँ पूर्ण चन्द्रमा की चांदनी धूमिल सी लग रही है,
क्यूँ चंचल किरणे इस चाँद की उदास सी लग रही हैं..........

शायद पलाश का मन कुछ शंका से भरमाया है,
जाने किसकी आस में पलाश ऐसे सकुचाया है,
कैसे कहूँ की पलाश का मन उसे पुकार रहा है,
इस इन्द्रधनुषी होली में मेरी किताब का पलाश बस रोया है.......

12 comments:

  1. पलाश के रंग में उदासी घुली हुई . जीवन के भावनात्मक पक्ष को उकेरती रचना . सुन्दर.

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    1. कॉलेज टाइम में लिखी थी ... अपनी प्रक्टिस बुक के लास्ट पेज पे ऐसे ही प्रकृति के कुछ सुन्दर हिस्सों को देखकर भी कभी कभी उदासी मन को छू जाती है.....

      धन्यवाद आपका आपने सराहा.....
      आभार

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  2. बहुत बढियाँ मीनाक्षी जी ।

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    1. धन्यवाद आपका आपने सराहा.....
      आभार

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  3. बहुत सुन्दर मिनाक्षी.....बड़ी नाज़ुक सी कविता है...

    बस खुश्क शब्द ज़रा खटका..."सूखा" लिखें तो ज्यादा सहज लग रहा है...या शुष्क ????
    प्यार सहित
    अनु

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    1. thank you mini aunty.... :
      will correct it ..


      thanks for your guidence always...
      love n regards

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  4. ये पलाश मुझसे बार-बार प्रश्न कर रहा है,
    रंग मेरे केसरी भरने क्यूँ न कोई आया है,
    क्यूँ पूर्ण चन्द्रमा की चांदनी धूमिल सी लग रही है,
    क्यूँ चंचल किरणे इस चाँद की उदास सी लग रही हैं..........
    ////....////...///.,./
    बहुत ही सुन्दर रचना ...
    मीनाक्षी जी...

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  5. @मिनाक्षी मिश्रा तिवारी जी, आपके ब्लॉग का अवलोकन किया, आपके ब्लॉग पर आपकी रचना काफी अच्छी होने के साथ ही सुंदर शब्दों के द्वारा आपने अच्छी अभिव्यक्ति की है और रचनाओं के साथ अच्छी फोटो का समावेश भी अद्भुत है. लेकिन हिंदी के फॉण्ट के कारण रचनाओं को पढ़ने में कठनाई होती है. ब्लॉग की सेटिंग में इसको ठीक करें.

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    1. सार्थक सृजन , आभार.

      मेरे ब्लॉग " meri kavitayen "की नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है .

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