पलट पलट कर जब भी देखा है तुझे...
हर रंग में मुझे तू दिखी जिंदगी....
कभी हंसती हुयी....
कभी सिसकती हुयी.....
सिमटी हुयी ज़ज्बातों में कहीं....
कभी ठिठुरती हुयी रिश्तों की सीली सर्द हवाओं में...
तो जलती हुयी ख्वाहिशों की तपिश में कहीं...
बिखरती हुयी हालातों में कहीं...
कभी बहारों में संवरती हुयी....
कभी ख़्वाबों की दुनिया में उडती हुयी..
कभी मचलती हुयी अदाओं में भी देखा है तुझे...
और कभी बहते हुए पानी सी लगी है तू....
मेरे साथ है तू ही इस सफ़र में,अनजान से इस शहर में....
जहाँ अपने भी अजनबी लगते हैं,और हमसाए भी झूठे दिखते हैं....
इस तलाश में... इस ख़ामोशी की आवाज़ में... जो आती तो है लबों तक पर सुनाई नहीं देती... तू ही तो है मेरी संगिनी...
ऐ जिंदगी... ऐ जिंदगी....
जहाँ अपने भी अजनबी लगते हैं,और हमसाए भी झूठे दिखते हैं....
ReplyDeleteइस तलाश में... इस ख़ामोशी की आवाज़ में... जो आती तो है लबों तक ,पर सुनाई नहीं देती... तू ही तो है मेरी संगिनी...
ऐ जिंदगी... ऐ जिंदगी ....
बहुत खूब .... जिन्दगी पर भरोसा ........... अच्छा लगा .............. :)))))
धन्यवाद विभा जी...
Deleteसादर
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक सृजन , बधाई.
मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर आप सादर आमंत्रित हैं.
धन्यवाद ...
Deleteसादर
बिखरती हुयी हालातों में कहीं...
ReplyDeleteकभी बहारों में संवरती हुयी....
कभी ख़्वाबों की दुनिया में उडती हुयी..
कभी मचलती हुयी अदाओं में भी देखा है तुझे...
और कभी बहते हुए पानी सी लगी है तू....bahut khub .
thank you so much Ranju ji :)
Delete<3
regards
जिंदगी जिन्दादिली का नाम है , जियो जी भर के . जिंदगी के स्वर सुनो. लब पे आई है जिंदगी तो बोलेगी ही एक दिन . कब तक लबों को सीकर रहेगी . शब्दों को कैद नहीं किया जा सकता . तो मस्त रहने का बिंदास. :)
ReplyDeleteहौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आशीष जी...
Deleteआपका आशीष यूँ ही मिलता रहे...
धन्यवाद
सादर
beautiful........
ReplyDeleteloved it meenakshi....every word of it.
anu
thank you sooo much mini aunty... love you..
Deleteyour valuable comments are needed... for encouragement always... :)
Regards
khubsurat jindagi... balkhati jindagi:)
ReplyDeletethank you mukesh ji..:)
Deleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
thank you mahendra ji
ReplyDeleteregards
धन्यवाद!
ReplyDeleteयशवन्त माथुर जी
सादर
जिन्दगी एक कैनवास की तरह है , बदलते हालात उसको रंग बिरंगे रंगों से सजाते बिगाड़ते रहते हैं ,
ReplyDeleteसुन्दर रचना